शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

होली गीत
फगुनवा में हो फगुनवा में
मन भइले रसिया फगुनवा में.

अाम के डाढ़ी मोजरवा से झूमे
बाग-बगइचा के पछुआ चूमे
जऊआ के बलिया भी झूम-झूम गावे
मन बउरइले फगुनवा में.
मन भइले रसिया फगुनवा में.

धाय बाहर जाये रे धाय भीतर आये
प्रेम पियासा मन चैन न पाये
भइया आ भउजी आ बहिना आ पहुना
सभे बउरइले फगुनवा में.
मन भइले रसिया फगुनवा में.

फगुनवा में हो फगुनवा में
मन भइले रसिया फगुनवा में.
- तरु श्रीवास्तव

सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

नमक
नमक की तरह हो
तुम, मेरे लिए
तुम्हारे बिना फीकी,
बेस्वाद है जिंदगी.
- तरु श्रीवास्तव

रविवार, 11 फ़रवरी 2018

बिरहन की पीड़ा
बिरहन की रामा, दोनों नैना
नीर भरे या पीड़ भरे।
उखड़ी-उखड़ी सांसों में हर पल
पी से मिलन की आस पले।
बिरहन की रामा ----       ।

कल ना पड़े तड़पे दिन-रैना
पिंजरबद्ध खग तड़पे जैसे।
बन जोगन भटके वन-उपवन
ढ़ूंढ़े प्रभु, मीरा जैसे।
बिरहन की रामा----       ।

कैसे कहूं मैं प्रीत है तुझसे
बहुत फरक है तुझमें, मुझमें।
कह दूं जग जीने ना देगा
बोले बिना तुम जानोगे कैसे।
बिरहन की रामा----        ।

ना जाने कहां छुप से गये हो
कैसे मिलेंगे हम तुमसे।
मिल जाओ तो कह दें मन की
कह ना सके पहले तुमसे।
बिरहन की रामा----       ।

बिरहन की रामा, दोनों नैना
नीर भरे या पीड़ भरे।
उखड़ी-उखड़ी सांसों में हर पल
पी से मिलन की आस पले।

- तरु श्रीवास्तव

मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

मेरा प्यार

तुम्हारे लिये
मेरा प्यार दूब की तरह है
अमरत्व लिये हुए,
यह जीवित रहेगा
हर परिस्थिति में,
जैसे जीवित रहती है दूब
अकाल-दुर्भिक्ष में भी.
- तरु श्रीवास्तव