बुधवार, 29 अगस्त 2018

गीत

गीत

बन जाऊं शीला, जो कह दो अगर
शर्त है नाम उस पर तुम अपना लिखो.

कुछ  ना बाेलूंगी मैं जो ना चाहोगे तुम
भाषा नयनों की पहले मुखर तो करो.

आंधी में भी जलाये रखूंगी दिया
हौसला बन सदा संग जो मेरे रहो.

पीड़ सह जाऊंगी सारी हंसते हुए
कदम-दर-कदम संग जो मेरे चलो.

मिट जाऊंगी मैं तेरी खातिर प्रिये
धड़कनों में बस अपने समेटे रखो.

मीरा बन जाऊंगी जोग तेरा लिये
कान्हा बन मान मेरा सदा जाे रखो.

बन जाऊं शीला, जो कह दो अगर
शर्त है नाम उस पर तुम अपना लिखो.

- तरु श्रीवास्तव


मंगलवार, 14 अगस्त 2018

देशभक्ति गीत

देशभक्ति गीत

ये देश हमारा है, हमको ये प्यारा है
दुनिया से निराला है, हम सबका दुलारा है.

जहां कोयल गाती हैं, पंचम की बोली में
ऋतुएं जहां आती हैं, रागों की डोली में.

उगते सूरज को हम, जहां अर्ध्य चढ़ाते हैं
डूबते सूरज को भी, जल हम ही चढ़ाते हैं.

कई धर्म जहां जन्मे, कई धर्मगुरु जन्मे
कई भाषा जहां जन्मी, कई भाषी जहां बसते.

दुनिया में कहां किसी को, इतना मान मिलता है
घर आये अतिथि को, सम्मान मिलता है.

पावों को धोना भी जहां भाग्य समझते हैं
घर आये अतिथि को, भगवान समझते हैं.

हर वस्तु को पूजा है, सुख जिसने हमको दिया
नदियां-सागर को भी, मां-पिता है हमने कहा.

संसार को सर्वप्रथम, शिक्षा इसने दी है
जो आया शरण इसके, भिक्षा इसने दी है.

युग-युग के बंधन भी, जहां माने जाते हैं
पत्थर में ध्यान लगा, भगवान को पाते हैं.

बस एक ही इच्छा है, हर बार जनम लें हम
हर बार मिले धरती, भारत ही अंकित हो.

- तरु श्रीवास्तव


सोमवार, 6 अगस्त 2018

कविता

 अजूबा

क्या-क्या अजूबा हमने इस कलयुग में देखा है
रावण के हाथों राम को मरते देखा है.
विद्या की चंचला से कभी दोस्ती न थी
दोनों को आज हमने गले मिलते देखा है.
लहराते होंगे परचम कभी सत्य के गगन में
झूठ को ही आज हमने फलते देखा है.
जो कहते हैं हम शोषितों को न्याय देेते हैं
उनके हाथों हमने कत्ल होते देखा है.
क्या-क्या अजूबा हमने इस कलयुग में देखा है
रावण के हाथों राम को मरते देखा है.

- तरु श्रीवास्तव