अभिलाषा
कर सकूं प्रकाशित
हर मन का कोना
भर सकूं आनंद
सबके हृदय में
गहर धंसे तिमिर को
तिरोहित कर
फैला सकूं उजियारा
जग के कोने-कोने में
बना सकूं ऊर्जावान सबको
धरती के कोने-कोन में उगा सकूं
खुशहाली की फसल
बदल सकूं
निराशा को आशा में
खिला सकूं मुस्कान
सबके अधरों पर
कुछ ऐसा करूं कि सब रहें प्रतीक्षारत
मैं अब आऊं, अब आऊं
मैं बन सकूं उस जैसा
कर सकूं उस जैसा
जैसा करती है
भोर की किरण.
- तरु श्रीवास्तव
कर सकूं प्रकाशित
हर मन का कोना
भर सकूं आनंद
सबके हृदय में
गहर धंसे तिमिर को
तिरोहित कर
फैला सकूं उजियारा
जग के कोने-कोने में
बना सकूं ऊर्जावान सबको
धरती के कोने-कोन में उगा सकूं
खुशहाली की फसल
बदल सकूं
निराशा को आशा में
खिला सकूं मुस्कान
सबके अधरों पर
कुछ ऐसा करूं कि सब रहें प्रतीक्षारत
मैं अब आऊं, अब आऊं
मैं बन सकूं उस जैसा
कर सकूं उस जैसा
जैसा करती है
भोर की किरण.
- तरु श्रीवास्तव
👏👏👌👌
जवाब देंहटाएंaapka comment padhne me nhi aa rha hai, font visible nhi hai, pls aap roman me likhe taki main padh sakun
जवाब देंहटाएंaapko meri rachna pasand aaii isk liye aabhar
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