कविता
मैं स्त्री
मैं स्त्री हूं
देह-आत्मा से परे मैं शक्ति हूं,
अधरों की मुस्कान
जगत की जननी हूं,
मैं त्याग, तपस्या, समर्पण, करुणा ही नहीं
पूरी की पूरी संस्कृति हूं,
मुझसे पृथक कोई अस्तित्व नहीं
मैं ही प्रकृति हूं.
मैं स्त्री हूं
देह-आत्मा से परे मैं शक्ति हूं.
- तरु श्रीवास्तव
मैं स्त्री
मैं स्त्री हूं
देह-आत्मा से परे मैं शक्ति हूं,
अधरों की मुस्कान
जगत की जननी हूं,
मैं त्याग, तपस्या, समर्पण, करुणा ही नहीं
पूरी की पूरी संस्कृति हूं,
मुझसे पृथक कोई अस्तित्व नहीं
मैं ही प्रकृति हूं.
मैं स्त्री हूं
देह-आत्मा से परे मैं शक्ति हूं.
- तरु श्रीवास्तव
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